Today, Sunday, July 6, 2025, is Devshayani Ekadashi.
Also known as Ashadhi Ekadashi or Hari Shayani Ekadashi, it is a highly significant day in the Hindu calendar.
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Devshayani Ekadashi – Significance
Here’s why it’s important and what it signifies:
- Lord Vishnu’s Cosmic Sleep: On Devshayani Ekadashi, it is believed that Lord Vishnu, the preserver of the universe, goes into a divine slumber (Yog Nidra) in Ksheer Sagar (the cosmic ocean of milk) on the serpent bed of Sheshnag.
- Beginning of Chaturmas: This day marks the beginning of Chaturmas, a sacred four-month period. During Chaturmas, many auspicious activities like weddings, housewarmings, and new ventures are traditionally avoided. It is a period dedicated to spiritual practices, austerity, and introspection. Lord Vishnu is believed to awaken on Dev Uthani Ekadashi (Prabodhini Ekadashi) in the month of Kartik (October/November).
- Significance for Devotees: Devotees observe fasts, perform special pujas, recite mantras, and engage in charitable acts to seek Lord Vishnu’s blessings. It’s considered a day for spiritual purification and growth.
So, if you are observing Devshayani Ekadashi, today is indeed the day for it!

Devshayani Ekadashi – Puja Vidhi (in Hindi)
पूजा विधि:
- सुबह उठना और स्नान: देवशयनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल की शुद्धि: पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की स्थापना: एक लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- मूर्ति का स्नान: मूर्ति को गंगाजल और दूध से स्नान कराएं, फिर शुद्ध जल से साफ करें।
- वस्त्र और चंदन अर्पित करें: इसके बाद मूर्ति को पीले वस्त्र, फूलों की माला और चंदन अर्पित करें।
- दीप और धूपबत्ती जलाएं: दीपक और धूपबत्ती जलाएं।
- भोग अर्पित करें: भगवान विष्णु को तुलसी पत्र, पीले फल (जैसे केला या आम) और सात्विक मिठाई, जैसे खीर या हलवा, भोग के रूप में चढ़ाएं।
- तुलसी पूजन: इस दिन तुलसी पूजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। तुलसी के पौधे के सामने दीप जलाएं।
- दान-पुण्य: पूजा के बाद जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करें।
- व्रत के नियम: व्रत रखने वाले भक्त सात्विक भोजन, जैसे फल या दूध, ग्रहण कर सकते हैं। इस दिन निर्जला व्रत भी रख सकते हैं। मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज और तामसिक भोजन से पूरी तरह बचना चाहिए। क्रोध, झूठ और नकारात्मक विचारों से दूर रहना जरूरी है। सात्विक जीवनशैली अपनानी चाहिए और भजन-कीर्तन, ध्यान या धार्मिक ग्रंथों के पाठ में समय बिताना चाहिए। अनावश्यक यात्राएं और विलासिता से बचना चाहिए।
- व्रत का पारण: व्रत का पारण अगले दिन, द्वादशी तिथि पर, शुभ मुहूर्त में करना चाहिए।
Devshayani Ekadashi – Mantra Recital (in Hindi)
मंत्र जाप:
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”: इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
- विष्णु सहस्रनाम: विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- भगवान विष्णु को सुलाने का मंत्र: “ॐ हृीं हिरण्यगर्भाय अव्यक्तरूपिणे नमः” (यह मंत्र कर्क राशि के जातकों के लिए विशेष रूप से बताया गया है, लेकिन इसका जाप सामान्य रूप से भी किया जा सकता है)।
- “ॐ वासुदेवाय नमः”: इस मंत्र का जाप करें (धनु राशि के जातकों के लिए विशेष रूप से बताया गया है)।
- “ॐ नारायणाय नमः”: इस मंत्र का जाप करें (मीन राशि के जातकों के लिए विशेष रूप से बताया गया है)।
यह भी ध्यान रखें कि देवशयनी एकादशी से चातुर्मास का आरंभ होता है, और इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।
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